हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार" पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:
:قال الامام الصادق علیه السلام
السُّراّقُ ثَلاثَةٌ: مانِعُ الزّكاةِ وَ مُستَحِلُّ مُهورِ النِّساءِ! وَ كَذلِكَ مَنِ اسْتَدانَ دَیناً وَ لَم یَنوِ قَضاءَهُ.
हज़रत इमाम जफार सादीक अलैहिस्सलाम ने फरमाया:
चोरों की तीन किस्में है:
एक वह जो ज़कात और माली वाजिबाल अदा नहीं करता, दूसरा वह जो औरतों के महर को अपने लिए हलाल समझता है,और तीसरा वह जो कर्ज लेता है लेकिन इसे वापस करने का इरादा नहीं रखता हैं।
बिहारूल अनवार,भाग 96,पेज़ 12
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